Heart Touching Hindi Story of Women में पढ़ें
शब्दों से ज़ाहिर न करना किसी के वजूद की पहचान, हर कोई इतना कह नहीं पाता जितना महसूस करता है।
रश्मि बहुत ही सीधे और सरल स्वभाव की थी और उसको जीवन के दांव पेच कुछ कम समझ आते थे । रश्मि को जब देखने लड़के वाले आये थे तो भी रश्मि कुछ ज्यादा बोल नहीं पायी थी और किसी ने खूब कहा है कि “ शब्दों से ज़ाहिर न करना किसी के वजूद की पहचान, हर कोई इतना कह नहीं पाता जितना महसूस करता है “ और ये कहावत रश्मि पर बिलकुल सटीक बैठती थी ।
लड़के वालों को रश्मि की सादगी पसंद आ गयी और बात पक्की हो गयी, शादी के बाद पहली दिवाली आई तो रश्मि की सास ( शकुन्तला जी ) जो बहुत ही सुलझे हुए विचारों की थीं वो बोलीं कि रश्मि कल हम बाज़ार चलेंगे और सुधा के ससुराल में जो भी दिवाली के तोहफे देने हैं वो खरीद लायेंगे, पहले मैं अकेली जाती थी अब मैं तुम्हारे साथ जाउंगी।
रश्मि सास के साथ गयी तो वो बहुत बड़े बड़े showrooms पर उसे ले गयी गिफ्ट्स खरीदने के लिए और कपडे लेने के लिए, क्यूँकि रश्मि मिडिल क्लास से थी तो वो कभी ऐसी जगहों पर नहीं गयी थी तो उसको बहुत अच्छा लग रहा था, सब उसकी सास की इज्ज़त कर रहे थे क्यूँकि वो उनके यहाँ अक्सर आया जाया करती थी । जहाँ ये सब रश्मि को अच्छा लग रहा था वहीँ उसका दिल बैठा जा रहा था कि उसके मायके वाले इन सब की बराबरी कैसे करेंगे क्यूँकि दिवाली के बाद भैया दूज थी और जब उसकी ननद के लिए इतना सब हो रहा था तो उनको भी शायद उम्मीद हो जाए ।
रश्मि ने बातों बातों में अपने घर पर ये बात रखी तो उसकी माँ जो कि एक विधवा थी उन्होंने अपनी चूड़ियाँ गिरवी रख कर रश्मि के लिए गोल्ड बनवा दिया और दिवाली पर उसके भाई भाभी को सामान लेकर भेजा ।सबने खाना खाया और रश्मि kitchen में बर्तन रखने गयी तो शकुन्तला जी ने कुंदन( रश्मि का भाई ) से एक बात कही –
बेटा अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ ? जी आंटी जी कहिये , ये जो भी कुछ तुम लाये हो वो मैं जानती हूँ अपने सामर्थ के बाहर से लाये हो क्युनके हर लड़की अपने मायके का मान चाहती है अपने ससुराल में, पर मेरा निवेदन है की 250 rs और एक मिठाई के डिब्बे से ज्यादा मैं कुछ नहीं रखूंगी क्यूँकि भाई का हक होता है बहन को देना इसलिए ये शगुन और तुम दोनो का प्यार हमेशा मीठा बना रहे इसलिए ये मिठाई काफी है।
कुंदन के मन करने पर भी उन्होंने सादर वो सामान वापिस कर दिया क्यूँकि वो जानती थीं कि वो सामान उन्होंने अपनी चादर से बाहर जाकर खरीदा है । दोस्तों सही कहते हैं सब कि प्यार किसी दुकान पर नहीं मिलता बस महसूस करो तो अपने अन्दर ही है । रश्मि रोने लगी और अपनी सास के गले लग गयी ।
Heart Touching Hindi Story of Women में अपने पढ़ा रश्मि के बारे में
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